प्रबल विज्ञान जन्म से ही एक असाधारण मनुष्य थे | बहुत ही मशक्क़त के बाद वो इस दुनिया में आये थे | पिता को सहवास करने से भय था (एंग्जायटी डिसऑर्डर) | शीघ्रपतन के बहुत ही पहुँचे हुए और उच्च कोटि के मरीज़ थे | पूरे भारतवर्ष में भ्रमण करते समय जो भी विज्ञापन रेलगाड़ी के डिब्बे से बाहर दीवारों में पढ़ते वही तीर्थ यात्रा करने निकल जाते | आधी कमाई तो उनकी सबलोक क्लीनिक और हाशमी दवाखाने के जेबो में थी | जब हर किस्म के सोने और चांदी के भस्म और बाबा रामदेव के योगासन काम नहीं आये और उनके शीघ्रपतन की बीमारी और वीर्य की कमी उन्हें संतान नहीं दिल सकी तो उन्होंने एक मनोचिकित्सक की सलाह लेने की सोची |
प्रबल विज्ञान के पिता अटल ज्योति श्रीमान सिगमंड दूबे के पास जा पहुँचे अपनी पत्नी आँचल को लेकर | आँचल एक सत्संगी हो चुकी थी और सोचती थी की जो काम उनके पति नहीं कर पाए शायद सत्संग और भगवान का चमत्कार ही कर डाले | दस वर्ष बीत चुके थे और अटल ज्योति की तीर्थ यात्रा ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती थी | सत्संग ही उनके जीवन का सहारा था | वैसे भी कई वैज्ञानिक संशोधनों से और सर्वे के माध्यम से हम कह सकते है कि अक्सर महिलाएँ सत्संग की तरफ अपने दामपंत्य जीवन में अभावों की वजह से खिंचती है | श्रीमती आँचल भी शारिरिक रूप से खुश तो नहीं थी |
सिगमंड दूबे ने अटल ज्योति को इस प्रकार से सारी बातें समझायी |
“शीघ्रपतन, स्वप्नदोष या फिर वीर्यपतन एक शारिरिक कमी नहीं बल्कि एक मानसिक पद्विती है | आप इतने सालो के बाद एक सही जगह आये है अपना इलाज कराने | अच्छा ये बताइये, जब आप सवेरे सूरज उगने के पहले अपने बिस्तर पे होते है तो मर्दानगी का एहसास होता है की नहीं ?”
डॉक्टर सिगमंड दूबे ने अपने टेबल पर रखे फाउंटेन पेन को उठाते हुआ अटल ज्योति के सामने सीधा रखा और मुस्कुराते हुए पूछा – “मॉर्निंग बोनर होता है की नहीं आपको |”
अटल ज्योति शर्माते हुए बोले – “जी हां, बिलकुल होता है | मेरे लिए तो वो सारे दिन का सबसे अच्छा वक़्त होता है, लेकिन डॉक्टर सिगमंड …”
अपनी बात बोलना चाहते ही थे अटल ज्योति कि डॉक्टर सिगमंड नें बीच में ही काट दिया |
“बस अब और कुछ बोलने की ज़रुरत नहीं है | अगर मॉर्निंग बोनर होता है तो आपमें कोई दिक्कत नहीं है, कोई रोग नहीं है | मैं गारंटी के साथ कह सकता हूँ कि ये एक मानसिक पद्विती है – आपके संदर्भ में देखा जाए तो “परफॉरमेंस एंग्जायटी” है आपको | जैसा की मैंने आपको कहा की आप सही जगह आये है |”
“जो काम आप नहीं कर पाए है, दुनिया भर के सोना चाँदी एवं हीरे के भस्म नहीं कर पाए है, वो काम मैं आपको कर के दिखाऊँगा | आप फ़िजूल में इतने स्ट्रेस में है | आपको किसी भी दवा की ज़रुरत नहीं है | मानसिक चिकित्सा की ज़रुरत है आपको, केवल आपका आत्मविश्वास जगाने के लिए |”
सिगमंड दूबे फिर थोड़ा गंभीर हुए, अपने चश्मे को उतार कर अपने हाथ में उन्होंने पकड़ा और लेंस को साफ़ करते हुए बोले – “आप ये काम बखूबी कर सकते है, मैं ठीक कर सकता हूँ अगर आप मेरा साथ दे तो | आपकी और आँचल देवी की मनोकामना पूर्ण हो सकती है | “
अटल ज्योति डॉक्टर सिगमंड के कमरे में बैठे ये सब सुन रहे थे | उनका क्लिनिक आमतौर पर जो डॉक्टर्स का क्लीनिक होता है जिनमे जाँच के लिए लेटने के लिए एक ऊँची मेज होती है, तरह तरह के यन्त्र होते है, एक कंपाउंडर भी होता है, ऐसा बिलकुल भी नहीं था | डॉक्टर सिगमंड एक मनोचिकित्सक थे यानी एक साइकेट्रिस्ट थे | एक अत्यंत खूबसूरत रिसेप्शनिस्ट थी जो हर किस्म की ऊर्जा से अपने आप को घेर कर रखती थी | कोई भी मरीज़ या नामरीज उसकी तरफ आये तो ऐसे झुक कर आगंतुक का अभिवादन करती थी कि अगर कोई बीमारी नहीं भी हो तो डॉक्टर सिगमंड से अपॉइंटमेंट ले और अपनी फ़ीस देकर जाए | डॉक्टर सिगमंड ने साफ़ कह रखा था – “जितनी मेहनत उतनी ही तंख्वाह |”
डॉक्टर सिगमंड के कमरे में मरीज़ों के लेटने के लिए कोई बिस्तर नहीं था और न ही कोई पर्दा जिसके पीछे पेशेंट्स की प्राइवेट जांच की जाती हो | उनके कमरे में तो बस एक मेज थी और उसके पीछे इटालियन लेदर की कुर्सी जिसे विंग चेयर कहते है | डॉक्टर सिगमंड खुद वह बैठते थे | जब कोई मरीज़ आता था तो उसके बैठने के लिए एक आरामदायक सोफा था जिस पर वो चाहे तो खुद लेट भी सकता था | एक पीले पन्ने वाला लीगल पैड सामने एक छोटे से टेबल पर रखा हुआ था जिसके ऊपर एक सोनी का वॉइस रिकॉर्डर पड़ा हुआ था | दीवार पर कुछ पेटिंग्स थे, मधुभनी, राजा रवि वर्मा के रेप्रोडूक्शन्स और कुछ कंटेम्पररी इंडियन पेंटिंग्स | बस ये था उनका क्लिनिक | अंदर का माहौल बिलकुल शांत, जैसे की आप योग साधना करने जा रहे हो | धीमी आवाज़ में पंडित विश्वमोहन भट्ट द्वारा रचित एल्बम “एलिमेंट्स ऑफ़ अर्थ ” बज रहा होता था | ऐसा लगा रहा था की कही किसी दूर से एक मधुर संगीत की आवाज़ आ रही है जो आपके चंचल मन को, या उत्सुक दिमाग को शांत कर रहा हो, धीरे धीरे मोक्ष दे रहा हो | यह एक क्लिनिक नहीं था, पर जो लोग मानसिक पीड़ा से पलायन करना चाहते थे उनके लिए एक सैंक्चुअरी थी | अटल ज्योति तो सोच ही रहे थे की उन्होंने वहां आकर कोई गलती तो नहीं की | पर क्या करे, सिगमंड दूबे की रिसेप्शनिस्ट ने ऐसी घेराबंदी की कि शीघ्रपतन होते होते रुक गया | नहीं चाहते हुए भी वो इस नयी आजमाईश को आजमाने के लिए मजबूर हो गए |
अटल ज्योति और डॉक्टर सिगमंड दूबे एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे | एक उस आरामदायक सोफे पर, दूसरा उस इटालियन लेदर से बने विंग चेयर पर | डॉक्टर दूबे ने हवा में हाथ को फेंका जैसे की हाथ में कोई गेंद हो, और फिर उस अदृष्य गेंद को लपकते हुए ताली बजायी |
“समझ गए न मिस्टर अटल ज्योति, ये कोई शारीरिक कमी नहीं है, एक मानसिक कमी हैं |”
“अब अटल ज्योति जी मैं वो हर बात जानना चाहूँगा जो इस वक़्त आपके दिमाग में घर कर बैठी हुई है | वो हर बात जिसके बोझ से आपका नहर टूट पड़ता है और समय से पहले ही धारा प्रवाह कर देता है | बताइये कैसा महसूस कर रहे है आप ?”
अटल ज्योति ने एक गहरी साँस ली और कहने लगे – “मैंने अपनी जवानी में बहुत गलतियाँ की है – जैसे की हस्तमैथुन | मुझे लगता है ये सब इन्ही गलतियों का नतीजा है |”
“नहीं अटल ज्योति, मैं आपसे वजह नहीं पूछ रहा हूँ | बस मुझे वो बताये जो आपके दिमाग में चल रहा है और वहां घर कर बैठ गया है |”
“जी मैं वही बता रहा हो अगर आप सुने तो |”
“जी अच्छा, आप बोलिये बेजिझक और बेहिचक – डॉक्टर सिगमंड अपना गला साफ़ करते हुए बोले |
“हस्तमैथुन !” – अपने नोटपैड में फिर उन्होंने लिखा |
अटल ज्योति जैसे अपने पिछले जीवन में चले गए हो – “वो भी रंगीन दिन थे डॉक्टर साब, बस कल्पना करते थे और सांसारिक सुख की प्राप्ति चाँद मिनटो में हो जाती थी | फिर इस मायावी सुख में मैं रमता चला गया और जब भी इच्छा होती या समय मिलता, आँखे बंद कर सुख की प्राप्ति कर लेता | फिर दिन बीतते चले गए और ये चंद मिनटों का अन्तरकाल, कुछ सेकंड का कब हो गया पता ही नहीं चला |”
“फिर शादी ठीक हो गयी | मैं वीर्यपतन तो महसूस कर ही रहा था, पर शादी होने के बाद मुझे ये चिंता सताने लगी कि मैं शायद शारिरिक रूप से अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकूँ | पहली रात तो बहुत ही दर्दनाक थी | पत्नी ने घूँघट हटाया ही था कि शीघ्रपतन हो गया और उसी रात स्वप्नदोष भी |”
डॉक्टर सिगमंड ने अपने नोटपैड पर नोट किया – “परफॉरमेंस एंग्जायटी” – यानी मोटे शब्दो में – सफल न होने कि चिंता | बिलकुल वैसा ही जैसे कई बालक इम्तिहान के लिए मेहनत तो करते है, पर एक रात पहले अपने रिजल्ट को लेकर इतने चिंतित हो उठते है कि ऐन मौके पर सब गुड़गोबर कर डालते है | एक तरह से अटल ज्योति जी नर्वस थे पर मनोचिकित्सा के आधार पर इसे कहा जाता है “परफॉरमेंस एंग्जायटी” – तो डॉक्टर दूबे ने इसे ऐसे ही उसे अपने नोटपैड में दर्ज किया |
“डॉक्टर साब आप जितना भी बोलिये, मैं जानता हूँ कि ये एक मानसिक बीमारी नहीं है | ये मेरे बचपन और जवानी की गलतियों का नतीजा है जिसे सारे भारतवर्ष के बिगड़े हुए बच्चे और उनके बाप और उनके डॉक्टर हस्तमैथुन के नाम से जानते है | पर ये बीमारी अब मुझे ज्यादा दिन तक परेशान नहीं करेगी | जल्द ही मेरा वीर्यपतन हो जाएगा और ये बीमारी मेरा पीछा छोड़ देगी | मैं नामर्द बन जाऊँगा और फिर मुझ में शायद उस किस्म के बदलाव भी आ जाएँगे |”
एक घंटे होने को आये थे और पहला सेशन समाप्त हो चुका था | अटल ज्योति अपने घर चले आये पर अगले ही दिन फिर से उस रिसेप्शनिस्ट की याद आयी तो फिर से डॉक्टर साब के क्लिनिक जा पहुँचे | फिर दूसरे वार्तालाप का कार्यक्रम शुरू हुआ | अंत भी पहले दिन जैसा हुआ | दूसरे से तीसरा, तीसरे से चौथा और फिर कई दिनों तक मामला आगे नहीं बढ़ा |
डॉक्टर दूबे ने मरीज़ के विषय में कभी हार मानना नहीं सीखा था | उन्होंने अटल ज्योति को कहा – मुझे लगता है कि आपकी पत्नी की भी मानसिक तहकीकात करनी पड़ेगी |
अगले दिन हे आँचल डॉक्टर साब के पास आ गयी | कुल दो हफ्ते सेशन चला | कभी क्लिनिक पे, कभी किसी रेस्टॉरेन्ट में, कभी किसी पार्क में, और कभी डॉक्टर साब के फार्म हाउस पे |
आंठवे महीने में ही प्रबल विज्ञान का जन्म हो गया | आने की जल्दी थी उन्हें | सिगमंड दूबे ने ठीक ही था | जो काम सोने और हीरे चांदी के भस्म नहीं कर पाए – वो उन्होंने कर दिखाया | अटल ज्योति की मनोचिकित्सा सफल हुई |
प्रबल विज्ञान इस दुनिया में आ चुके थे |
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